अगर आप भी वेब डिजाइनिंग को गंभीरता से समझते हैं या फिर उसमे रूचि रखते हैं तो यह लेख CSS के बारे में पढ़ना ना भूले। Cascading Style Sheet (CSS) एक प्रकार का मार्कअप लैंग्वेज हैं जिससे आप वेब पेजेस में एलाइनमेंट और लेआउट कर सकते हैं। इस मार्कअप लैंग्वेज की वजह से आप अपने वेब पेज को विज़ुअली आकर्षित बना सकते हैं। इससे आपके वेबसाइट पर ट्रैफिक भी बढ़ेगी और एंगेजमेंट रेट भी।
लेकिन क्या इतनी ही जानकारी CSS के बारे में आपके लिए काफी हैं ? अगर आप उन शुरूआती लोगो में से हैं जो CSS के बारे में पढ़ना चाहते हैं तो यह रहा आपके लिए सही ब्लॉग।
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CSS का मतलब क्या होता हैं ?
CSS एक प्रकार का स्टाइलशीट हैं जो HTML एलिमेंट्स का प्रेसेंटेशन को कैसे डिफाइन करना हैं, यह निर्धारित करता हैं। आसान शब्दों में कहे तो HTML सिर्फ आपका पेज का स्ट्रक्चर बनाता हैं बाकी उस स्ट्रक्चर में किस प्रकार का डिज़ाइन होगा जैसे कि कलर, फ़ॉन्ट, स्पेसिंग और बाकी यह CSS कोड बताता हैं।
CSS का इतिहास
- CSS का पहला वर्ज़न १९९६ में W3C (World Wide Web Consortium) द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
- उस समय वेबसाइट्स बेसिक टेक्स्ट और ब्लू लिंक्स तक ही सिमित होती थी।
- CSS की वजह से आपका वेबपेज विसुअली आकर्षित बनता हैं।
- आज के ज़माने में CSS3 लेटेस्ट वर्ज़न हैं जिससे आप एनीमेशन, रिस्पॉन्सिव डिज़ाइन्स जैसे एडवांस्ड फीचर्स शामिल हैं।
CSS क्यों ज़रूरी है?

– कंटेंट और डिज़ाइन को अलग करना
CSS का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह वेबसाइट के कंटेंट और डिज़ाइन को अलग कर देता है। HTML सिर्फ स्ट्रक्चर देता है, जबकि CSS उसे स्टाइल करता है। इससे वेबसाइट का कोड साफ-सुथरा और व्यवस्थित रहता है।
यह सेपरेशन डेवेलपर्स को आसानी से वेबसाइट में बदलाव करने की सुविधा देता है। उदाहरण के लिए, अगर आपको सभी हेडिंग का रंग बदलना है, तो एक ही CSS फाइल में बदलाव करके पूरे पेज पर प्रभाव डाला जा सकता है।
– फास्ट लोडिंग और बेहतर परफॉर्मेंस
CSS वेबसाइट के लोडिंग समय को तेज़ बनाता है। जब एक ही स्टाइलशीट कई पेजों पर लागू की जाती है, तो ब्राउज़र उसे कैश कर लेता है। इससे हर बार स्टाइल को डाउनलोड नहीं करना पड़ता।
इसका परिणाम यह होता है कि वेबसाइट जल्दी खुलती है, जो यूज़र एक्सपीरियंस और SEO दोनों के लिए फायदेमंद है। खासतौर पर मोबाइल यूज़र्स के लिए यह एक ज़रूरी पहलू बन जाता है।
– रिस्पॉन्सिव डिज़ाइन बनाना आसान होता है
आज की दुनिया में ज्यादातर लोग मोबाइल और टैबलेट पर वेबसाइट ब्राउज़ करते हैं। CSS में मिडिया क्वेरीज़ जैसे फीचर्स की मदद से आप वेबसाइट को हर डिवाइस के लिए उपयुक्त बना सकते हैं।
एक ही HTML स्ट्रक्चर को अलग-अलग स्क्रीन साइज के लिए ऑप्टिमाइज़ करने की सुविधा वेबसाइट को प्रोफेशनल और यूज़र-फ्रेंडली बनाती है। ये फीचर बिना CSS के संभव नहीं है।
– यूज़र एक्सपीरियंस को बेहतर बनाता है
एक आकर्षक और इंटरैक्टिव वेबसाइट हमेशा यूज़र्स को ज्यादा समय तक वेबसाइट पर रोक कर रखती है। CSS की मदद से आप बटन, इमेज, टेक्स्ट आदि में होवर इफेक्ट्स, एनिमेशन और ट्रांज़िशन जोड़ सकते हैं।
यह विज़ुअल एलिमेंट्स साइट को ज़्यादा एंगेजिंग बनाते हैं और ब्रांड की पहचान को भी मज़बूत करते हैं। इसलिए, बेहतर डिज़ाइन का मतलब है बेहतर यूज़र एक्सपीरियंस।
– बार-बार कोड लिखने की ज़रूरत नहीं
CSS को एक बार लिखने के बाद आप उसे जितने चाहे उतने HTML पेज पर लागू कर सकते हैं। इससे कोड रिपिटिशन कम हो जाता है और मेंटेन करना आसान होता है।
मान लीजिए कि आपको पूरी वेबसाइट में बटन का कलर बदलना है, तो आपको हर HTML पेज पर नहीं जाना पड़ेगा। सिर्फ CSS फाइल में बदलाव करना काफी होगा।
– भविष्य में अपडेट करना होता है आसान
अगर वेबसाइट को समय के साथ अपडेट करना है, जैसे नया लुक देना या थीम बदलनी है, तो CSS के साथ यह काम बहुत सरल हो जाता है। आपको HTML में कुछ छेड़छाड़ करने की ज़रूरत नहीं होती।
बड़ी वेबसाइट्स के लिए यह बहुत बड़ा फायदा है, क्योंकि एक ही CSS फाइल में बदलाव से पूरी साइट का लुक और फील तुरंत बदल सकता है। इससे समय और मेहनत दोनों की बचत होती है।
CSS कितने प्रकार के होते हैं?
जैसे कि आपने पढ़ा कि CSS लयौट और डिज़ाईनिंग में काफी अहम् रोल प्ले करता हैं , लेकिन यह कितने प्रकार के होते हैं ? आइए पढ़ते हैं।
1. Inline CSS
Inline CSS मेथड का उपयोग तब किया जाता हैं जब आप किसी HTML एलिमेंट में विशेष स्टाइल इस्तमाल करना चाहते हैं। इसमें जो भी स्टाइल आपको देना हैं वो HTML टैग के अंदर लिख कर दे सकते हैं।
उदाहरण:
<h1 style="color: blue;">स्वागत है!</h1>
ये तरीका बिगिनर्स के लिए किफायती हैं। हालांकि बड़े प्रोजेक्ट्स में इसका उपयोग सिमित ही होता हैं, लेकिन अगर आपको तुरंत किसी एलिमेंट को हिघ्लिहत करना हैं तो Inline CSS आसान समाधान हैं।
2. Internal CSS (इंटरनल सीएसएस)
Internal CSS का उपयोग तब किया जाता है जब आप पूरे HTML डॉक्युमेंट के लिए स्टाइलिंग करना चाहते हैं, लेकिन अलग CSS फाइल नहीं बनाना चाहते। यह <style> टैग के अंदर, HTML डॉक्युमेंट के <head> सेक्शन में लिखा जाता है।
उदाहरण:
<head>
<style>
h1 {
color: green;
font-family: Arial;
}
</style>
</head>
जब आप एक सिंगल-पेज प्रोजेक्ट बना रहे हों, जैसे कोई छोटा पोर्टफोलियो या प्रेजेंटेशन साइट – Internal CSS तेज़ी से काम करता है और पूरी साइट का लुक मिनटों में बदल सकता है।
3. External CSS
यह CSS मेथड सबसे ज़्यादा इस्तमाल किये जाने वाला प्रोग्रामिंग तरीका हैं। इसमें स्टाइल्स को अलग अलग। .css फाइल में लिखा जाता हैं और HTML में <link> टैग द्वारा जोड़ा जाता हैं। इसके ज़रिये आप एक ही CSS कोड से पूरी वेबसाइट को कंट्रोल कर सकते हैं।
उदाहरण:
<link rel="stylesheet" href="styles.css">
body {
background-color: #f2f2f2;
font-family: 'Poppins', sans-serif;
}
कई सारे प्रोफेशन वेबसाइट्स, ई-कॉमर्स पोर्टल्स, और SaaS ऍप्लिकेशन्स में External CSS का इस्तमाल होता हैं। इससे आप डायनामिक वेबसाइट्स बना सकते हैं और उसका डिज़ाईनिंग कंट्रोल भी कर सकते हैं।
CSS के फीचर्स
CSS एक स्टाइलिंग लैंग्वेज है। लेकिन इसके कुछ महत्वपूर्ण फीचर्स भी शामिल हैं जो इसे ख़ास बनाते हैं।
- स्टाइलिंग और डिजाइनिंग: CSS लैंग्वेज का इस्तमाल कर के आप वेब पेजों और उसके लेआउट को सुंदर और आकर्षित बनाने में मदद करता हैं। इसमें टेक्स्ट, इमेज, बॉर्डर, टेबल, बटन और बैकग्राउंड जैसे एलिमेंट्स को डिज़ाइन किया जाता हैं।
- रिस्पॉन्सिव डिजाइन: CSS लैंग्वेज का यूज़ सभी प्रकार की स्क्रीन के साइज़ अनुसार रिस्पॉन्सिव वेबसाइट डिज़ाइन किया जाता हैं। इसमें आपका वेबसाइट मोबाइल, टेबलेट, डेस्कटॉप, आदि के लिए एक्सेसिबल हो जाता हैं।
- कास्केडिंग मैकेनिज्म: यदि एक ही एलिमेंट पर कई स्टाइल यूज़ होती हैं। तो CSS लैंग्वेज उनकी प्राथमिकता तय करता है और इसके बाद अंतिम आउटपुट देता है।
- सेलेक्टर्स और ग्रुपिंग: CSS लैंग्वेज में विभिन्न सेलेक्टर्स (जैसे क्लास, आईडी, एलिमेंट) का यूज़ करके स्पेसिफिक एलिमेंट्स को स्टाइल किया जाता है।
- एनीमेशन और ट्रांज़िशन: CSS लैंग्वेज का उपयोग वेबसाइट और वेब पेज पर एनिमेशन और इफेक्ट्स ऐड करने के लिए किया जाता है।
- फास्ट लोडिंग और SEO फ्रेंडली: CSS लैंग्वेज का कोड वेब पेज को लाइट और फ़ास्ट SEO फ्रेंडली बनाता है। जिससे वेबसाइट का SEO प्रदर्शन बेहतर होता है।
CSS और HTML में क्या अंतर है?
आइए पढ़ते हैं CSS और HTML के बीच क्या अंतर हैं।
विशेषता | CSS | HTML |
उद्देश्य | वेब पेज का प्रेसेंटेशन निर्धारित करना | वेब पेज की स्ट्रक्चर और कंटेंट को डिफाइन करना |
लेआउट | कंटेंट के लेआउट और इमेज स्टाइल को डिफाइन करता है | डिटेलिंग करता है कि कंटेंट कैसे व्यवस्थित और स्ट्रक्चर करें |
ब्राउज़र सपोर्ट | सिर्फ मॉडर्न ब्राउज़र पर चलने वाला | सभी ब्राउज़र्स पर सपोर्ट करने वाला |
अपडेट्स | आप बिना HTML स्ट्रक्चर को डिस्टर्ब किए CSS स्टाइल बदल सकते हैं। | HTML में चेंज करने के लिए पुरे कोड को चेंज करना पड़ता हैं |
फाइल एक्सटेंशन | .css | .html |
सिंटैक्स | सेलेक्टर्स और प्रॉपर्टीस का इस्तमाल करना | टैग्स और ऐट्रिब्यूट्स इस्तमाल होते हैं |
CSS एक बहुत ही महत्वपूर्ण तकनीक है जो किसी भी वेबसाइट की रूपरेखा और डिज़ाइन को बेहतर बनाने में मदद करती है। यह HTML के साथ मिलकर वेबसाइट को आकर्षक, यूज़र-फ्रेंडली और रेस्पॉन्सिव बनाता है। अगर आप वेब डेवलपमेंट में शुरुआत कर रहे हैं, तो CSS की समझ होना आपके लिए एक मजबूत नींव तैयार करता है।
CSS सीखने से न सिर्फ आपकी वेबसाइट की खूबसूरती बढ़ेगी, बल्कि आप प्रोफेशनल स्तर पर वेबसाइट डिजाइन करना भी सीख पाएंगे। इसलिए, अगर आप एक बेहतरीन वेबसाइट बनाना चाहते हैं, तो CSS सीखना आपके वेब डेवलपमेंट सफर का एक जरूरी कदम है।
FAQs
CSS का full form क्या है?
CSS का पूरा नाम Cascading Style Sheets है। यह एक स्टाइल शीट लैंग्वेज है जो वेब पेज के लुक और फील को कस्टमाइज करने के लिए उपयोग की जाती है।
CSS कितने प्रकार की होती है?
CSS तीन प्रकार की होती है: Inline CSS, Internal CSS, और External CSS। ये तीनों वेब पेज पर स्टाइल लागू करने के अलग-अलग तरीके हैं।
CSS की ज़रूरत क्यों होती है?
CSS वेबसाइट के डिजाइन को सुंदर, व्यवस्थित और यूज़र फ्रेंडली बनाने के लिए जरूरी है। इसके बिना वेबसाइट के कंटेंट को सही तरीके से दिखाना मुश्किल हो सकता है।
क्या बिना CSS के वेबसाइट बनाई जा सकती है?
जी हां, बिना CSS के वेबसाइट बनाई जा सकती है, लेकिन वो केवल p प्लेन HTML में होगी और उसका लुक बहुत साधारण होगा। CSS से ही वेबसाइट की खूबसूरती और इंटरएक्टिविटी बढ़ती है।