इस डिजिटल दुनिया में आप कौनसी जगह से सामान खरीदना पसंद करेंगे? ज़्यादातर लोग कहेंगे बगल वाली दूकान लेकिन आपको बता दें कि २०३० तक सिर्फ भारत में e-commerce market $३६३.३० (₹३०९.०६ ट्रिलियन) का हो जाएगा। और इसकी मुख्य वजह हैं हमारी डिजिटल टाइम ज़्यादा होना। आज की तारीख में करोड़ो लोग भारत और विश्व भर में e-commerce के ज़रिये समान खरीद और बेच सकते हैं।
इसके लिए महज़ एक वेबसाइट की ज़रूरत हैं जिधर आप प्रोडक्ट की लिस्टिंग कर सकते हैं , और इन सभी प्रोडक्ट की एक इन्वेंट्री मैनेज करें। लेकिन अगर आप शुरूआती दौर में हैं और e-commerce kya hai जानना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग ज़रूर पढ़े।
विषयसूची
ई-कॉमर्स का असली मतलब
आसान शब्दों में ई-कॉमर्स के ज़रिये समान खरीदना और बेचना काफी आसान हो जाता हैं। क्यूंकि इसमें इंटरनेट और वेब होस्टिंग संसाधनों का उपयोग होता हैं, इसलिए यह किफायती ट्रेडिंग विकल्प साबित होता हैं। इस माध्यम के ज़रिये आपको कोई भी फिज़िकल स्टोर जाने की ज़रूरत नहीं। बस कुछ ही क्लिक्स में आपका पसंदीदा समान आपके घर में पहुंच जाएगा। इसलिए अभी आप देख सकते हैं कि इंस्टेंट डिलीवरी का बिज़नेस कितना ज़ोरो शोरो से सफल हो रहा हैं।
E-commerce business शुरू करने के लिए आपको एक online platform की ज़रूरत हैं जो आपके यूज़र्स के शॉपिंग अनुभवों को अच्छा बनाये। इसका मतलब हैं कि आपको अपने फिज़िकल स्टोर में कोई भी बड़ी बदलाव करने की ज़रूरत नहीं। बस थोड़ा सा टेक्नोलॉजी का सहारा लेना पड़ेगा।
अगर आपको ज़्यादा तकनिकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं तो आप MilesWeb की वूकॉमर्स होस्टिंग का सहारा ले सकते हैं। हमने यह प्लान्स ख़ास उन यूज़र्स के लिए तैयार किया हैं जो अपना ऑनलाइन स्टोर स्थापित करना चाहते हैं।
ई-कॉमर्स के प्रकार
यह रहें कुछ प्रकार ई-कॉमर्स सेवाओं के:
- B2B: यह e-commerce business का प्रकार उन व्यवसायों के लिए लाभदायक हैं जो दो कंपनियों के बिच सुचना या प्रोडक्ट्स का आदान प्रदान होता हैं। उदहारण के तौर पर कुछ विशेष सूचनाएं, business software, heavy machinery और आदि शामिल हैं। यह सभी प्रोडक्ट्स आपको ऑनलाइन भी मिल जाते हैं लेकिन हम और आप जैसे लोग इसके क्लाइंट नहीं होते।
- B2C: ये लेन-देन तब होते हैं जब बिज़नेस यूज़र्स को direct products, services या सूचना बेचते हैं। हालाँकि, आमतौर पर middlemen or intermediaries होते हैं जो shipping, delivery और customer service को संभालते हैं। यह शब्द १९९० के दशक के उत्तरार्ध में dot-com बूम के दौरान लोकप्रिय था, जब online retailer और सामान के विक्रेता एक नया विचार था।
ई-कॉमर्स के फायदे
आपने कुछ सिमित फायदें ही सुने होंगे ई-कॉमर्स जैसे फीचर के बारें में:

– २४x७ अवेलिबिलिटी
Outage और scheduled maintenance के अलावा, e-commerce sites २४x७ उपलब्ध हैं, जिससे विज़िटर्स किसी भी समय browse और Shopping कर सकते हैं। आमतौर पर फिज़िकल स्टोर में एक निश्चित संख्या में घंटों के लिए खुलते हैं और कुछ दिनों पर पूरी तरह से बंद भी हो जाते हैं।
– स्पीड
एक physical store में शॉपिंग करने वाले में अक्सर भीड़ की एक बड़ी समस्या होती हैं। इसमें करीब एक घंटे से लेकर पूरा दिन भी लग जाता हैं। इस वजह से ग्राहकों को कभी कभी निराश होकर खाली हाथ भी जाना पड़ता हैं। हालाँकि shopping cart और checkout page कुछ सेकंड या उससे भी कम समय में लोड हो जाते हैं। एक सामान्य e-commerce transactions के लिए कुछ क्लिक की आवश्यकता होती है और इसमें पाँच मिनट से भी कम समय लगता है।
– अधिक ऑप्शंस
Amazon जो famous e-commerce brands हैं उनका पहला नारा था “Earth’s Biggest Bookstore.” इस slogan को आप पढ़ कर ही यह समझ सकते हैं कि यह ब्रांड पुस्तक बेचता हैं। और यह बात हैं ९० की दशकों की जब इंटरनेट का जानकारी उतनी आम लोगो को नहीं थी। लेकिन तब भी १००० से भी ज़्यादा कैटेगरिस Amazon के पास मौजूद थे। वहीँ दूसरी ओर एक फिज़िकल बुक स्टोर में एक सिमित संख्या में ही किताबें पढ़ी रहती हैं। लेकिन e-commerce ने कई दुकानदारों को आपस में कंनेक्ट करके एक profitable business model तैयार किया गया हैं।
– एक्सेसिबिलिटी में आसानी
फिज़िकल स्टोर में शॉपिंग करने वाले किसी भी ग्राहक को प्रोडक्ट ढूंढ़ने में दिक्कत आ सकती हैं। लेकिन यही काम आप एक e-commerce website में कोई भी category में आसानी से अपना पसंद का समान ढूंढ सकते हैं और cart में add करके shopping कर सकते हैं। आज की तारीख में कई सारे e-commerce brands अपने user interface को और अच्छा कर रहे हैं जिस वजह से उनके ग्राहकों की संख्या भी बढ़े।
– अंतर्राष्ट्रीय मार्केट
पुराने तरीके से व्यवसायों के स्टोर एक सिमित मात्रा में एक राज्य या एरिया में मौजूद होते हैं। लेकिन आप किसी भी e-commerce brand की बात करें तो वह दुनिया के किसी भी कोने में अपना product बेच सकते हैं। इसलिए e-commerce में Business के ग्राहक आधार को बढ़ाने की क्षमता है।
– कम लागत
एक Proper e-commerce business physical store के मुकाबले काम लागत में चलते हैं। इसमें किराया, इन्वेंट्री और कैशियर। हालाँकि, उन्हें शिपिंग और गोदाम की लागत उठानी नहीं पड़ती है। साथ ही काफी डिस्काउंट भी आपको समानों पर मिलता हैं।
– परसनलाइज़्ड शॉपिंग
e-commerce websites हर ग्राहक की browsing, searching और shopping history को store करते हैं। यह सभी data उनके लिए काफी उपयोगी हैं क्यूंकि इससे ग्राहकों को personalized shopping करवा सकते हैं। इससे ग्राहकों को उनकी पसंद के प्रोडक्ट्स ढूंढने में आसानी होती है और वे अपनी ज़रूरतों के हिसाब से सुझाव भी प्राप्त कर सकते हैं। यह न केवल ग्राहकों की संतुष्टि बढ़ाता है बल्कि वेबसाइटों के लिए बिक्री भी बढ़ाता है।
ई-कॉमर्स ऐप्स की खासियत
विश्व भर में करीब billions users हैं mobile और smartphone के। इसलिए सभी e-commerce brand अपने अपने ऐप्स लेकर आये हैं। इस वजह से शॉपिंग मात्र एक फोन के ज़रिये आसान हो गया हैं। हर e-commerce app में email, online catalogs, shopping carts, electronic data interchange (EDI), file transfer protocols, web services और बहुत features शामिल होते हैं।
इन सभी e-commerce apps का इस्तमाल करके B2C और B2B Brands अपने ग्राहकों को अपने प्रोडक्ट्स की जानकारी देते हैं। newsletter अगर कोई user subscribe किया होगा तो उसको यह सभी न्यूज़लेटर मिलेगा। ज़्यादातर कंपनियाँ अब digital coupons, social media marketing और टारगेट विज्ञापनों जैसे तरीकों का इस्तेमाल करके online users को लुभाने की कोशिश करती हैं।
सुरक्षा ई-कॉमर्स कंपनियों सबसे पहले महत्वपूर्ण चीज़ है जो वो सुनिश्चित करते हैं। डेवलपर्स और एडमिन को ई-कॉमर्स एप्लिकेशन विकसित करते समय ग्राहक डेटा गोपनीयता और सुरक्षा, डेटा गवर्नेंस से संबंधित विनियामक कंप्लायंस मैंडेट्स, व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य सूचना गोपनीयता नियम और सूचना सुरक्षा प्रोटोकॉल पर विचार करना चाहिए। कुछ सुरक्षा सुविधाएँ एप्लिकेशन के डिज़ाइन के दौरान जोड़ी जाती हैं, जबकि अन्य को लगातार विकसित होने वाले खतरों और नई कमज़ोरियों को संबोधित करने के लिए अपडेट किया जाना चाहिए।
ई-कॉमर्स ने आज के डिजिटल युग में व्यापार करने का तरीका पूरी तरह बदल दिया है। अब ग्राहकों को अपनी ज़रूरत की चीज़ें खरीदने के लिए बाजार जाने की ज़रूरत नहीं होती, सिर्फ कुछ क्लिक में ही प्रोडक्ट्स उनके दरवाज़े पर पहुंच जाते हैं। छोटे से लेकर बड़े व्यापारी तक, सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके अपनी बिक्री बढ़ा रहे हैं और ग्लोबल कस्टमर्स तक पहुंच बना रहे हैं।
अगर आप भी अपना ई-कॉमर्स स्टोर शुरू करना चाहते हैं, तो सबसे पहले एक भरोसेमंद और तेज़ वेब होस्टिंग सर्विस चुनना ज़रूरी है। माइल्सवेब आपको मिलती है किफायती दरों में हाई-परफॉर्मेंस ई-कॉमर्स होस्टिंग, २४*७ सपोर्ट और फ्री SSL जैसे ज़रूरी फीचर्स। तो देर किस बात की? आज ही माइल्सवेब के साथ अपने ऑनलाइन बिज़नेस को एक नई ऊंचाई पर ले जाएं!
FAQs
ई-कॉमर्स कितने प्रकार के होते हैं?
ई-कॉमर्स मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं: B2B (बिजनेस टू बिजनेस), B2C (बिजनेस टू कस्टमर), C2C (कस्टमर टू कस्टमर) और C2B (कस्टमर टू बिजनेस)। हर प्रकार में लेन-देन का तरीका और ग्राहक का रोल अलग होता है।
ई-कॉमर्स और रिटेल में क्या अंतर है?
ई-कॉमर्स में उत्पादों की बिक्री ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से होती है, जबकि रिटेल में ग्राहक किसी भौतिक दुकान पर जाकर सामान खरीदते हैं। ई-कॉमर्स में डिजिटल सुविधा होती है, वहीं रिटेल में व्यक्तिगत अनुभव।
ई-कॉमर्स वेबसाइट और ऑनलाइन मार्केटप्लेस में क्या अंतर है?
ई-कॉमर्स वेबसाइट किसी एक ब्रांड की होती है जहाँ वही ब्रांड अपने प्रोडक्ट्स बेचता है, जबकि ऑनलाइन मार्केटप्लेस जैसे Amazon पर कई विक्रेता एक ही प्लेटफॉर्म पर अपने प्रोडक्ट्स बेचते हैं।
ई-कॉमर्स बिजनेस को सफल बनाने के लिए कौन-से डिजिटल मार्केटिंग टूल्स जरूरी हैं?
ई-कॉमर्स की सफलता के लिए SEO, गूगल ऐड्स, सोशल मीडिया मार्केटिंग और ईमेल मार्केटिंग जैसे टूल्स बहुत जरूरी हैं। ये टूल्स ब्रांड की विजिबिलिटी बढ़ाकर सेल्स में सुधार लाते हैं।

